Marwari Idioms

मारवाड़ी मुहावरे

Like any language, Marwari Proverbs and Idioms put depth and colour to the language. While collating all idioms is a challenge, we made our efforts to add most widely used phrases. sh

अ-अः

  • अकल बिना ऊंट उभाणा फिरैं ।

  • अगम् बुद्धि बाणिया पिछम् बुद्धि जाट ...बामण सपनपाट ।

  • आंध्यां की माखी राम उडावै ।

  • आसोजां का पड्या तावडा जोगी बणग्या जाट ।

  • अणमांग्या मोती मिलै, मांगी मिलै न भीख। (मांगे बगैर भी कोई मुल्यवान चीज़ मिल जाती है जबकि कई बार मांगने पर भी तुच्छ वस्तु हांसिल नहीं होती है,वरन आत्मसम्मान को भी ठेस पहुंचती है। )

  • ऊन'रै को जायेड़ो बिल ही खोदै ।

क-घ

  • क ख ग घ ड़, काको खोटा क्यों घडै ।

  • कपूत हूँ नपूत भलो ।

  • कर रै बेटा फाटको, खड्यो पी दूध को बाटको ।

  • करणी जिसी भरणी ! (जैसा कार्य करेंगे ,फल भी उसी प्रकार का प्राप्त होगा ।)

  • काळा सागे गोरो बेठे तो, रंग नई तो लखण तो आवैई ! (जैसे लोगों की संगत होगी, उनका असर तो आता ही है)

  • काणी के ब्याह में सो टेड ।

  • काम का ना काज का ... ढाई मण अनाज का ।

  • कौड़ी बिन कीमत नहीं सगा नॅ राखै साथ, हुवै जे नामों (रूपया) हाथ मैं बैरी बूझै बात।

  • खरी कमाई घणी कमाई ।

  • खेती करै नॅ बिणजी जाय, विद्या कै बल बैठ्यो खाय ।

  • गादड़ै की मोत आवै जणा गांव कानी भागै।

  • गंडक रे भरोसे गाडो कोनी चाले । (कमजोर / असहाय व्यक्ति को प्रभुत्वशाली और सक्षम लोग लाभ नहीं उठाने देते हैं।)

  • गोदी मैं छोरो गळी मैं हेरै ।

  • घी सुधारै खीचड़ी, और बड्डी बहू का नाम ।

  • घैरगडी सासू छोटी भू बडी ।

  • घणा में घुण पड जावे (किसी अच्छे गुण या साधन की ज्यादा मात्रा में उपलब्धता भी कभी-कभी हानिकरक हो जाती है )

च-झ

  • च्यार चोर चौरासी बाणिया, बाणिया बापड़ा के करँ ।

  • छड़ी पड़ै छमाछम, विद्या आवै धमाधम।

  • ज्यादा स्याणु कागलो गू मैं चांच दे ।

  • जाओ लाख रैवो साख, गई साख तो बची राख ।

  • जंगल जाट न छोड़िये,हाटां बीच किराड़। रांगड़ कदे न छोड़िये,ये हरदम करे बिगाड़।।

  • जमीन ऍर जोरु जोर की नहीं तो कोई और की।

  • जाट जंवाई भाणजो, रेवारींरु सुनार । ऐता नहीं है आपणा, कर देखो उपकार ।।

  • जाट बलवान जय भगवान ।

  • जाट मरा जब जानिये जब चालिसा होय ।

  • जैं करी सरम, बैंका फूट्या करम ।

  • जो गुड़ सैं मरै बी'नै जहर की के जरुरत।

ट-ढ

  • डाकण बेटा ले क दे ।

त-न

  • तीज त्यौहारां बावड़ी, ले डूबी गणगौर।

  • थोथा चणा , बाजे घणा !(असक्षम होते हुए भी , बढा-चढ़ा कर बोलना / कार्य करना)

  • दियो लियो आडो आवै ।

  • दूसरे की थाळी मँ घी ज्यादा दीखॅ।

  • दूसरे की थाळी में सदा हि ज्यादा लाडू दीखैं ।

  • धन्‍ना जाट का हरिसों हेत, बिना बीज के निपजँ खेत।

  • नानी फंड करै, दोहितो दंड भरै ।

  • नि मरे, नि माचौ छोड़े ! (न हक़ से अलग हटे न उस से दूर हो)

  • न जाण , न पिछाण, हूँ लाडा री भुवा ! (किसी बात की गहराई को जाने बिना अपना मत रखना और उसे मनवाने की जिद्द करना ।)

  • नेपॅ की रुख खेड़ा'ई बतादें ।

प-म

  • पूत का पग पालणें में ही दीख जा हीं ।

  • पांचूं आंगळयां सरीसी कोनी हुव़ै !(सब आदमी या सब चीजें बराबर नहीं होती हैं,गुण-दोषों के आधार पर प्रकृति ने भी सबको अलग-अलग बनाया जरूर है,परन्तु कोई भी आदमी या चीज अनुपयोगी नहीं है।)

  • पत्थर का बाट - जत्ता भी तोलो, घाट-ही-घाट ।

  • पीसो हाथ को, भाई साथ को ही काम आवै ।

  • बहुआं हाथ चोर मरावै, चोर बहू का भाई ।

  • बाप ना मारी मांखी, बेटो तीरंदाज ।

  • बाबो सगळां'नॅ लड़ॅ, बाबॅ'न कुण लड़ॅ ।

  • बिना बुलाया पावणा, घी घालूं कॅ तेल ।

  • बिना रोऍ तो मा'ई बोबो कोनी दे ।

  • बीन कॅ'ई लाळ पड़ँ जणा बराती के करँ ।

  • बैठणो छाया मैं हुओ भलां कैर ही, रहणो भायां मैं हुओ भलां बैर ही ।

  • भौंकँ जका काटँ कोनी ।

  • मन का लाडु खाटा क्यों ।

  • म्हानैं घडगी अ'र बेमाता बाड़ मैं बड़गी ।

  • मँगो रोवे ऐक बार, सस्तो रोवे सो बार ।

  • मानो तो देव नहीं तो भींत को लेव।

  • मिनख कमावै च्यार पहर, ब्याज कमावै आठ पहर । (व्यक्ति के एक दिन में काम करने की एक सीमा होती है,जबकि ब्याज का कुचक्र हर समय चलता रहता है,अतः जब तक हो सके ब्याज को लेकर सतर्क रहना चाहिए।)

  • मेवा तो बरसँता भला, होणी होवॅ सो होय ।

  • मेह की रुख तो भदवड़ा'ई बता दें ।

य-व

  • रांड स्याणी हुवै पण कसम मर्यां फेर ।

  • रूप की रोवै करम की खावै ।

  • रूपयो होवै रोकड़ी सोरो, आवै सांस, संपत होय तो घर भलो, नहीं भलो परदेस।

  • रूपलालजी गुरू, बाकी सब चेला !(रुपया सबसे बड़ा है।)

  • राणाजी केहवे वठैई उदयपुर ! (अपने से ऊपर अधिकारी की बात को हर हाल में मान लेना)

  • रोता जां बै मरेडां की खबर ल्यावैं ।

श-ह

  • सरलायो छूंदरो, बद्दां बंध्यो जाट । मदमाती गूजरी, तीनों वारां बाट ।।

  • साबत रैसी सर तो घणाई बससीं घर।

  • सात घर तो डाकण भी छोड दिया करै है।

  • सावण भलो सूर'यो भादुड़ो पिरवाय, आसोजां मैं पछवा चाली गाडा भर भर ल्याव ।

  • हाथ ई बाळया, होळा ई हाथ कोनी आया !(मेहनत की,कष्ट भी सहा, लेकिन प्रतिफल स्वरुप लाभ के स्थान पर हानि हुई। )

  • हाँसी-हाँसी में हो-ज्यासी खाँसी ।

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